बच्चेदानी में गांठ का 10 असरदार घरेलू इलाज – आयुर्वेद और घरेलू उपाय से पाए राहत

आखिरी अपडेट 16 Jun 2025 08:30 am (IST)
बच्चेदानी में गांठ का 10 असरदार घरेलू इलाज – आयुर्वेद और घरेलू उपाय से पाए राहत

बच्चेदानी में गांठ (Uterine Fibroids) एक आम लेकिन अनदेखी जाने वाली समस्या है, जो लगभग 50% से 70% महिलाओं को रजोनिवृत्ति से पहले होती है, और अश्वेत महिलाओं में यह दर 80% से भी ज्यादा हो सकती है। यह समस्या मासिक धर्म की अनियमितता, पेट दर्द, कमजोरी और गर्भधारण में दिक्कत का कारण बनती है। लेकिन क्या इसका इलाज बिना सर्जरी के संभव है? इस ब्लॉग में आप जानेंगे uterine fibroid treatment in Hindi जिससे आप प्राकृतिक तरीके से राहत पा सकती हैं।

इन 10 असरदार तरीको से बच्चेदानी में बानी गांठ को ठीक करे|

क्या आपके पेट के निचले हिस्से में भारीपन, मासिक धर्म के समय ज़्यादा दर्द या अनियमित ब्लीडिंग हो रही है? हो सकता है ये बच्चेदानी की गांठ (फाइब्रॉइड) का संकेत हो। ये समस्या आजकल बहुत सी महिलाओं में पाई जाती है। कई बार डॉक्टर्स सीधे सर्जरी की सलाह देते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि कुछ असरदार घरेलू उपायों से भी इसे ठीक किया जा सकता है।

यहां हम आपको बताएंगे बिना सर्जरी फाइब्रॉइड हटाने का उपाय जो आसानी से घर पर किया जा सकता है। ये उपाय आपकी बच्चेदानी की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।


1. गुनगुना त्रिफला जल – शरीर की गहराई से सफाई

हर दिन सुबह खाली पेट गुनगुना त्रिफला जल पीना एक बहुत ही असरदार उपाय है। 

  • त्रिफला तीन आयुर्वेदिक फलों , आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण है जो शरीर की अंदर से सफाई करता है।

  • कई विशेषज्ञ बताते हैं कि त्रिफला का सेवन फाइब्रॉइड के लक्षणों को कम कर सकता है। 

  • एनसीबीआई में छपी एक स्टडी में भी बताया गया है कि त्रिफला में ऐसे तत्व होते हैं जो फाइब्रॉइड की ग्रोथ को रोक सकते हैं। इसे एंटीनोप्लास्टिक एजेंट कहा जाता है, जो शरीर में खराब सेल्स को बढ़ने से रोकता है।  

  • यह न केवल पाचन को दुरुस्त करता है, बल्कि फाइब्रॉइड की वृद्धि को भी रोकता है। त्रिफला शरीर में जमे हुए विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज आसान हो जाता है।

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2. कैस्टर ऑयल पैक (Castor Oil Pack) – पेट पर लगाने वाला उपाय

कैस्टर ऑयल यानी अरंडी का तेल पुराने समय से ही औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। 

  • इसके लिए एक सूती कपड़ा लें, उसे गरम कैस्टर ऑयल में भिगोएं और नाभि के नीचे पेट पर रखें। 

  • उसके ऊपर एक गर्म पानी की बोतल रखें और 30-40 मिनट तक आराम करें। 

  • ऐसा सप्ताह में 3-4 बार करने से बच्चेदानी में सूजन कम होती है और गांठ के आकार में धीरे-धीरे बदलाव आता है। यह उपाय बहुत ही आसान और आरामदायक है।


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3. अशोक छाल का काढ़ा – महिलाओं की सबसे प्रिय औषधि

अशोक का पेड़ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए वरदान माना जाता है। इसकी छाल को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इसे दिन में एक बार पीएं। 

  • अगर पीरियड्स में बहुत ज्यादा खून आता है, तो अशोक वृक्ष की छाल का काढ़ा बनाकर रोज सुबह पीना फायदेमंद होता है। इससे खून का बहाव धीरे-धीरे कम होने लगता है।

  • अशोक छाल मासिक धर्म को नियमित करती है, दर्द को कम करती है और बच्चेदानी की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। यह उपाय खासकर उन महिलाओं के लिए उपयोगी है जिनका मासिक चक्र अनियमित हो या जो बार-बार पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस करती हैं।

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4. हल्दी वाला दूध – सूजन और विषहरण के लिए

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है जो शरीर की सूजन को कम करता है।

  •  हर रात सोने से पहले गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर पिएं। 

  • यह न केवल शरीर को आराम देता है बल्कि गर्भाशय की सूजन भी कम करता है। 

  • अगर आप नियमित रूप से हल्दी वाला दूध लें तो धीरे-धीरे बच्चेदानी की गांठ पर असर दिखने लगेगा।

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5. अलसी (Flaxseed) – हार्मोन संतुलन का गुप्त उपाय

आजकल हार्मोन असंतुलन के कारण भी फाइब्रॉइड की समस्या बढ़ रही है। अलसी यानी फ्लैक्ससीड इस असंतुलन को ठीक करने में मदद करती है। 

  • इसमें लिग्नैन नाम का तत्व होता है जो शरीर में एस्ट्रोजन लेवल को नियंत्रित करता है। 

  • रोज सुबह 1 चम्मच अलसी पाउडर को पानी या दही के साथ लें। यह बिना सर्जरी फाइब्रॉइड हटाने का उपाय माना जाता है और बेहद आसान भी है।

इन सभी उपायों को अपनाकर आप धीरे-धीरे बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज पा सकती हैं। जरूरी है कि आप इन्हें नियमित और धैर्यपूर्वक अपनाएं।

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6. गिलोय – रोग प्रतिरोधकता और संक्रमण नियंत्रण में सहायक

क्या आप बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज ढूंढ़ रही हैं? गिलोय एक बहुत ही असरदार जड़ी-बूटी है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। 

  • गिलोय का रस या काढ़ा रोज़ सुबह खाली पेट पीने से यूटेरस की सूजन धीरे-धीरे कम होने लगती है। 

  • यह बच्चेदानी में मौजूद गांठ पर भी सकारात्मक असर डालता है। 

  • अगर आपके शरीर में बार-बार इन्फेक्शन होता है या मासिक धर्म के दौरान असामान्य दर्द महसूस होता है, तो गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और हार्मोन को संतुलित करता है। 

यही कारण है कि गिलोय को बच्चेदानी में गांठ का इलाज के रूप में वर्षों से अपनाया जाता रहा है।


7. वज्रासन और भुजंगासन – विशेष योगासनों का अभ्यास

अगर आप किसी भी तरह की दवा से दूर रहना चाहती हैं, तो योग आपके लिए बेहतरीन उपाय हो सकता है।

  •  वज्रासन और भुजंगासन दो ऐसे योगासन हैं जो पेट के निचले हिस्से में रक्तसंचार को सुधारते हैं। 

  • बच्चेदानी में बनी गांठ को ठीक करने के लिए हर दिन कम से कम 10 से 15 मिनट तक इन आसनों का अभ्यास करें। 

  • भुजंगासन से गर्भाशय के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और वज्रासन पाचन क्रिया को ठीक करता है, जिससे हार्मोन बैलेंस सही रहता है। 

यह उपाय पूरी तरह से प्राकृतिक है और शरीर को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाता। नियमित योग करने से बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज बहुत आसान हो सकता है।

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8. लाल चंदन और गौ मूत्र – परंपरागत उपाय

लाल चंदन और शुद्ध गौ मूत्र का मिश्रण पुराने समय से ही आयुर्वेद में उपयोग किया जाता रहा है। 

  • यह मिश्रण शरीर के अंदर की गर्मी को शांत करता है और विषैले टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। 

  • यह उपाय खास तौर पर उन महिलाओं के लिए कारगर होता है जो लंबे समय से बच्चेदानी में दर्द, सूजन या गांठ की समस्या से जूझ रही हैं। 

  • 1 चम्मच लाल चंदन चूर्ण में 10 मिली शुद्ध गौ मूत्र मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इस प्रयोग को हफ्ते में 3 से 4 बार करें। 

इस उपाय को अपनाने से बच्चेदानी में गांठ का इलाज बिना ऑपरेशन के संभव हो सकता है, लेकिन इसे किसी अनुभवी वैद्य की सलाह से ही करें।

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9. धनिया बीज पानी – मासिक धर्म को सामान्य बनाए

अगर आपकी माहवारी अनियमित रहती है या उसमें बहुत अधिक दर्द होता है, तो धनिए का बीज बहुत मददगार हो सकता है। 

  • 1 चम्मच धनिए के बीज को रातभर एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह इसे अच्छे से उबाल लें। 

  • जब पानी आधा रह जाए तो उसे गुनगुना करके खाली पेट पिएं। यह उपाय न केवल मासिक धर्म को नियमित करता है, बल्कि पीरियड्स के दर्द को भी कम करता है। 

  • इससे गर्भाशय के अंदर जमा अशुद्धियां बाहर निकलती हैं और बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज का एक प्रभावी तरीका बनता है। यह तरीका पूरी तरह से घरेलू है और इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं।


10. मानसिक तनाव से मुक्ति – ध्यान और ब्रह्ममुहूर्त की आदत

तनाव हार्मोनल असंतुलन का मुख्य कारण होता है और हार्मोन गड़बड़ होने से बच्चेदानी में गांठ जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अ

  • गर आप सच में बच्चेदानी में गांठ का इलाज चाहती हैं, तो अपने जीवन में ध्यान और सकारात्मक आदतें शामिल करें।

  •  रोज़ सुबह ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 5 बजे के बीच) में उठें और 10 मिनट तक श्वास ध्यान करें। इससे मस्तिष्क शांत होता है और शरीर में हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है। 

  • तनावमुक्त जीवन बच्चेदानी और पूरे शरीर की सेहत को बेहतर बनाता है। यह तरीका आसान है, मुफ़्त है और इसका असर भी बहुत गहरा होता है।

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आयुर्वेदिक उपचार से महिलाओं की प्रजनन प्रणाली की रक्षा कैसे करें

अगर आपको बार-बार पेट में दर्द, अनियमित पीरियड्स या थकान महसूस होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी प्रजनन प्रणाली संतुलन में नहीं है। आजकल बच्चेदानी में गांठ का इलाज एक आम चिंता बन गई है, खासकर छोटे शहरों की महिलाओं में, जहाँ जानकारी और सही इलाज की कमी होती है।

  • आयुर्वेद मानता है कि जब वाता, पित्त और कफ दोष असंतुलित होते हैं, तब महिला स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। 

  • संतुलित आहार, जैसे ताजा फल, हरी सब्ज़ियाँ, और घी, शरीर को मजबूत बनाते हैं। रोज़ाना योगासन और प्राणायाम, जैसे भ्रामरी और अनुलोम-विलोम, हार्मोन को संतुलन में रखते हैं

  • अशोक, शतावरी, लोध्र और गिलोय जैसी आयुर्वेदिक औषधियाँ बच्चेदानी की गांठ का घरेलू इलाज करने में सहायक हैं।

  •  मानसिक तनाव से हार्मोन बिगड़ सकते हैं, इसलिए ध्यान और नियमित दिनचर्या ज़रूरी है। घरेलू उपाय ज़रूर करें, लेकिन किसी वैद्य या डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।

अगर आप बच्चेदानी की गांठ जैसी समस्या से जूझ रही हैं, तो आयुर्वेदिक जीवनशैली और घरेलू उपायों को अपनाकर राहत पा सकती हैं। सही जानकारी और विशेषज्ञ की सलाह से बिना सर्जरी इलाज संभव है।


फाइब्रॉइड के लिए पंचकर्म चिकित्सा – गर्भाशय की गहराई से सफाई

क्या आप लंबे समय से भारी पीरियड्स, पेट में गांठ या सूजन जैसी समस्याओं से परेशान हैं? यह गर्भाशय में गांठ के आयुर्वेदिक उपचार की जरूरत का संकेत हो सकता है। बच्चेदानी की गांठ के साथ-साथ कई महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट भी पाया जाता है, जो अलग स्थिति है पर लक्षण मिलते-जुलते हैं। महिलाओं में फाइब्रॉइड आज एक आम समस्या बन चुकी है, लेकिन सर्जरी के डर से कई महिलाएं इलाज नहीं करवा पातीं। ऐसे में आयुर्वेद की uterine fibroid treatment in hindi पद्धति राहत दे सकती है।

  • पंचकर्म चिकित्सा जैसे वमन, विरेचन, बस्ती आदि गहरे स्तर पर काम करती हैं। यह शरीर के अंदर संचित दोषों को पहचानकर उन्हें बाहर निकालने में मदद करती हैं। 

  • बस्ती चिकित्सा को खासतौर पर बिना सर्जरी फाइब्रॉइड हटाने का उपाय माना जाता है, क्योंकि यह गर्भाशय को अंदर से साफ करता है।

  • इलाज की अवधि 21 से 45 दिन तक हो सकती है, जो व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है। योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में पंचकर्म कराना जरूरी होता है। 

  • इसके साथ-साथ उचित आहार और दिनचर्या का पालन भी जरूरी है, जिससे उपचार का असर और बढ़ जाता है।

अगर आप बिना सर्जरी फाइब्रॉइड हटाने का उपाय खोज रही हैं, तो आयुर्वेदिक पंचकर्म एक प्राकृतिक और प्रभावी विकल्प हो सकता है। सही मार्गदर्शन और अनुशासन से आप राहत पा सकती हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या बच्चेदानी की गांठ कैंसर बन सकती है?

 नहीं, ज़्यादातर बच्चेदानी की गांठ यानी फाइब्रॉइड कैंसर नहीं बनतीं। ये सामान्यतः सौम्य होती हैं लेकिन अगर तेजी से बढ़ें या तकलीफ दें तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

बच्चेदानी में गांठ होने पर गर्भधारण संभव है?

हाँ, कई महिलाएं फाइब्रॉइड के साथ भी माँ बनती हैं। लेकिन अगर गांठ बड़ी हो या बच्चेदानी को दबा रही हो तो गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है। अगर आपको गर्भधारण में परेशानी हो रही है, तो AMH levels की जांच ज़रूर करवाएं।

घरेलू उपाय से गांठ पूरी तरह खत्म हो सकती है क्या?

घरेलू उपाय से थोड़ी राहत मिल सकती है, जैसे दर्द या सूजन कम हो सकती है। लेकिन गांठ पूरी तरह खत्म करने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

फाइब्रॉइड की पहचान घर पर कैसे करें?

घर पर सीधे पहचान करना मुश्किल है। लेकिन अगर भारी पीरियड्स, पेट में सूजन या दबाव महसूस हो तो तुरंत महिला रोग विशेषज्ञ से जांच करानी चाहिए।

क्या आयुर्वेद से सर्जरी के बिना इलाज संभव है?

हाँ, बिना सर्जरी फाइब्रॉइड हटाने का उपाय आयुर्वेद में मौजूद है। पंचकर्म और हर्बल दवाओं से कुछ मामलों में अच्छा सुधार देखा गया है, लेकिन विशेषज्ञ की देखरेख जरूरी है।

बच्चेदानी की गांठ में दर्द क्यों होता है?

गांठ अगर बड़ी हो जाए या किसी नस या अंग पर दबाव डाले, तो दर्द हो सकता है। पीरियड्स के समय या संभोग के बाद भी दर्द हो सकता है।

क्या नियमित योग से गांठ में सुधार हो सकता है?

हाँ, कुछ योगासन जैसे सेतुबंधासन या बालासन पेट और गर्भाशय को राहत देते हैं। इससे फाइब्रॉइड के लक्षणों में आराम मिल सकता है, लेकिन योग इलाज नहीं है।

बच्चेदानी में गांठ की सबसे शुरुआती लक्षण क्या हैं?

शुरुआती लक्षणों में भारी रक्तस्राव, लंबे पीरियड्स, पेट में भारीपन या दबाव महसूस होना शामिल हैं। ये लक्षण दिखते ही महिला रोग विशेषज्ञ से जांच कराएं।

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