पीरियड लाने के 10 असरदार घरेलू व आयुर्वेदिक उपाय

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Reviewed by Dr. Priyanka Tekale(MD Ayurveda, Panchkarma)
आखिरी अपडेट 14 Aug 2025 09:53 am (IST)
पीरियड लाने के 10 असरदार घरेलू व आयुर्वेदिक उपाय

मासिक धर्म देर से आना कई महिलाओं के लिए तनाव, असहजता और शरीर में बदलाव का कारण बनता है। यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन, जीवनशैली, तनाव या स्वास्थ्य कारणों से हो सकती है। अक्सर महिलाएं दवाइयों की बजाय घरेलू या आयुर्वेदिक उपायों को प्राथमिकता देती हैं, जो स्वाभाविक और सुरक्षित माने जाते हैं। 

अगर आप भी पीरियड्स लाने के लिए प्राकृतिक तरीका अपनाना चाहती हैं, तो कुछ असरदार उपायों में अदरक की चाय, हल्दी वाला दूध, पपीता और अजवाइन का पानी शामिल हैं। ये उपाय शरीर को गर्मी देकर हार्मोन को सक्रिय करने में मदद कर सकते हैं। इस लेख में हमने ऐसे ही 10 असरदार घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे विस्तार से बताए हैं, साथ ही यह भी समझाया है कि किन हालात में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।   यह लेख उन महिलाओं के लिए है जो बिना दवा के प्राकृतिक तरीका अपनाना चाहती हैं।

लंबे समय से पीरियड्स की अनियमितता, थकान या हार्मोनल बदलाव PCOS का संकेत हो सकते हैं। Gynoveda से जुड़कर पर्सनल आयुर्वेदिक प्लान से स्थायी समाधान पाएं।


पीरियड लाने के लिए इन 10 घरेलु और आयुर्वेदिक उपाए अपनाएं:-

अगर पीरियड समय पर नहीं आता तो चिंता होना आम बात है। नीचे दिए गए 10 असरदार घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय आपकी मदद कर सकते हैं पीरियड समय पर लाने में।


 1. अदरक की चाय – देसी नुस्खा


अदरक गर्भाशय की मांसपेशियों को सक्रिय करता है जिससे पीरियड लाने में मदद मिलती है। यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। 

  • अदरक की चाय बनाने के लिए एक कप पानी में एक चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक डालें और 5 मिनट तक उबालें।

  •  स्वाद के लिए थोड़ा सा शहद मिला सकते हैं। दिन में 1 से 2 बार इसका सेवन करें।

  •  असर दिखने में 2 से 3 दिन लग सकते हैं। यह उपाय सामान्य तौर पर सुरक्षित है, पर यदि पेट में जलन हो तो मात्रा कम करें।

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 2. पपीता खाना – प्राकृतिक तरीका 

पपीते में ऐसे एंजाइम होते हैं जो गर्भाशय को सक्रिय करते हैं और पीरियड लाने में सहायक होते हैं। खासकर कच्चा पपीता इस काम में ज्यादा असरदार होता है। 

  • रोजाना दोपहर या शाम को एक कटोरी कच्चा या पका हुआ पपीता खाएं। 

  • इसे 3 से 5 दिन तक नियमित खाने से असर दिख सकता है। यह उपाय खासकर तब फायदेमंद है जब पीरियड हल्के से देरी से आ रहे हों। 

  • यदि आपको गर्भावस्था का संदेह हो तो पपीता न खाएं। यह एक आसान और स्वादिष्ट तरीका है पीरियड समय पर लाने का।

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 3. हल्दी वाला दूध – प्राकृतिक उपचार 

हल्दी में सूजन कम करने और पीरियड को प्रेरित करने वाले गुण होते हैं। यह शरीर को गर्मी देता है और हार्मोन को संतुलित करता है। 

  • रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। रोजाना 3 से 4 दिन तक पीने से असर दिख सकता है। 

  • यह उपाय शरीर को अंदर से मजबूत करता है। यदि आपको गैस या एसिडिटी होती है, तो डॉक्टर से पूछकर सेवन करें। 

  • हल्दी वाला दूध पीरियड लाने के साथ-साथ इम्यूनिटी भी बढ़ाता है। इसे खाली पेट न लें।

यह उपाय शरीर को अंदर से मजबूत करता है। यदि आपको गैस या एसिडिटी होती है, तो डॉक्टर से पूछकर सेवन करें, खासकर जब एंडोमेट्रियल थिकनेस जैसी स्थितियाँ पहले से मौजूद हों।

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 4. अजवाइन और गुड़ का पानी – आयुर्वेदिक उपाय 

अजवाइन और गुड़ शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं जिससे गर्भाशय की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं। एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में उबालें और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं। 

  • इस उपाय को लगातार 3 से 5 दिन करें। पुराने समय से यह उपाय महिलाओं द्वारा अपनाया जाता रहा है। 

  • यह नुस्खा पीरियड की देरी की समस्या में कारगर माना गया है। 

  • यह घरेलू और सस्ता तरीका है, लेकिन यदि आपको अल्सर या पेट की कोई समस्या है तो परहेज रखें।


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 5. तिल और गुड़ – मासिक धर्म नियमित करने का तरीका 

तिल शरीर को गर्मी देता है और हार्मोन संतुलन में मदद करता है। गुड़ आयरन का अच्छा स्रोत है और खून की कमी पूरी करता है। 

  • रोजाना एक चम्मच तिल के साथ एक टुकड़ा गुड़ खाने से पीरियड नियमित हो सकते हैं। 

  • इसे दिन में एक बार सुबह या दोपहर को लें। यदि आपकी बॉडी गर्म तासीर वाली है तो ज्यादा मात्रा से परहेज करें। इस उपाय को पीरियड शुरू होने के 5 से 7 दिन पहले शुरू करना चाहिए। 

  • यह पुराने समय से अपनाया जाने वाला आसान तरीका है।


अगर पपीता, अदरक या हल्दी जैसे घरेलू उपाय बेअसर हैं, तो अब शरीर को गहराई से समझने का समय है। Gynoveda की आयुर्वेदिक कंसल्टेंसी से अपनी बॉडी टाइप के अनुसार सही उपाय जानें।


 6. योग और प्राणायाम – प्राकृतिक संतुलन 

योगासन मासिक धर्म के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये हार्मोन को संतुलित करते हैं और तनाव कम करते हैं।

  •  भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन और धनुरासन पीरियड नियमित करने में मददगार माने जाते हैं। हर दिन सुबह खाली पेट इन योगासनों का अभ्यास 10 से 15 मिनट तक करें। 

  • धीरे-धीरे अभ्यास करें और सांस पर ध्यान दें। योग करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं।

  •  नियमित योग से मानसिक और शारीरिक दोनों लाभ मिलते हैं। अगर कोई गंभीर समस्या हो तो पहले योग प्रशिक्षक से सलाह लें।

योगासन मासिक धर्म के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये हार्मोन को संतुलित करते हैं और तनाव कम करते हैं, जिससे पीरियड्स मिस होने से पहले भी प्रेगनेंसी के लक्षण शरीर में दिखाई देने की संभावना घटती है।

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 7. अशोक चूर्ण – आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी 

अशोक चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो महिलाओं के पीरियड से जुड़ी समस्याओं में असरदार होती है। यह चूर्ण गर्भाशय की सेहत को सुधारता है और मासिक धर्म को नियमित करता है। 

  • रोजाना सुबह खाली पेट 1 से 2 ग्राम अशोक चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। इसे पीरियड आने से 5 दिन पहले शुरू करना चाहिए। 

  • यह उपाय डॉक्टर की सलाह से ही अपनाएं, खासकर अगर आप अन्य दवाएं ले रही हैं। 

  • यह जड़ी-बूटी प्राचीन समय से महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए प्रयोग की जाती रही है।

त्रिफला शरीर को डिटॉक्स करता है। यह पाचन सही रखता है और हार्मोन संतुलन में मदद करता है, जिससे पीसीओडी के कारण होने वाले अनियमित पीरियड्स में राहत मिल सकती है।


 8. गर्म पानी की थैली – तुरंत राहत

 गर्म पानी की थैली से पेट पर सेंक करने से गर्भाशय की मांसपेशियां ढीली होती हैं और पीरियड जल्दी आने में मदद मिलती है। 

  • इसे पेट के निचले हिस्से पर 10 से 15 मिनट तक रखें। यह उपाय दिन में 2 से 3 बार किया जा सकता है। 

  • सावधानी रखें कि पानी बहुत ज्यादा गर्म न हो वरना त्वचा जल सकती है। 

  • यह तरीका बहुत ही आसान, सस्ता और बिना दवा के राहत देने वाला उपाय है। इसे तब अपनाएं जब हल्का दर्द हो या पीरियड देर से आ रहे हों।


 9. विटामिन सप्लीमेंट – पोषण से सहायता 

विटामिन डी, बी6 और आयरन की कमी से भी पीरियड देर से आते हैं। इन विटामिन्स की पूर्ति करने से मासिक धर्म बेहतर होता है। 

  • विटामिन डी के लिए रोज सुबह की धूप लें, बी6 के लिए केले और नट्स खाएं, और आयरन के लिए चुकंदर, पालक, और गुड़ लें। 

  • अगर डायट से पर्याप्त मात्रा नहीं मिल रही है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लिया जा सकता है। 

  • शरीर का पोषण संतुलित होने से हार्मोन ठीक से काम करते हैं और पीरियड समय पर आते हैं। यह तरीका धीरे-धीरे असर दिखाता है।


 10. तनाव कम करना – मानसिक स्वास्थ्य 

 मानसिक तनाव हार्मोन में असंतुलन लाकर पीरियड को रोक सकता है। 

  • ध्यान, हल्का संगीत और आत्म-देखभाल से दिमाग शांत होता है और हार्मोन संतुलन में आते हैं।

  •  हर दिन 10 मिनट ध्यान लगाएं, अच्छा संगीत सुनें और भरपूर नींद लें। मोबाइल से दूरी बनाएं और नेचर वॉक करें। अपनी पसंद की चीजें करें जो आपको खुशी दें। 

  • तनाव घटने से शरीर खुद-ब-खुद ठीक से काम करने लगता है। अगर लगातार चिंता बनी रहती है, तो किसी काउंसलर से बात करें। मानसिक संतुलन भी पीरियड को नियमित करने में बहुत मदद करता है।


आयुर्वेद अनुभाग – जड़ी-बूटियों द्वारा उपचार 

आयुर्वेदिक उपचार मासिक धर्म के लिए बहुत असरदार माने जाते हैं। ये शरीर को अंदर से संतुलित करते हैं और बिना किसी साइड इफेक्ट के असर दिखाते हैं। कई जड़ी-बूटियाँ हैं जो पीरियड लाने और उन्हें नियमित करने में मदद करती हैं।

  • अशोक चूर्ण एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक टॉनिक है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और अनियमित पीरियड्स को सामान्य करने में मदद करता है।

  • लोध्र चूर्ण हार्मोन संतुलन के लिए जाना जाता है। इसका नियमित सेवन मासिक धर्म को समय पर लाने में सहायक होता है।

  • कुमारी आसव, जो एलोवेरा से बनता है, एक प्राकृतिक टॉनिक है। यह पाचन सुधारता है और यूटेरस को सक्रिय करता है।

  • हिंग का सेवन गैस, कब्ज और पेट दर्द में राहत देता है और गर्भाशय की क्रिया को तेज करता है।

  • त्रिफला शरीर को डिटॉक्स करता है। यह पाचन सही रखता है और हार्मोन संतुलन में मदद करता है।

इन जड़ी-बूटियों को खाली पेट या भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है। इनका सेवन 30 से 45 दिन तक करें। अगर पेट में दर्द, उल्टी या एलर्जी हो तो तुरंत सेवन बंद करें और डॉक्टर से मिलें।


कुछ जरूरी सावधानियां 

पीरियड लाने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय तभी असर दिखाते हैं जब उन्हें सही तरीके से अपनाया जाए। इसके लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • कोई भी दवा या घरेलू नुस्खा डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। कुछ जड़ी-बूटियाँ कुछ लोगों को सूट नहीं करतीं।

  • अगर आपको लगता है कि प्रेग्नेंसी हो सकती है, तो कोई भी उपाय न अपनाएं। ये भ्रूण को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

  • अगर अचानक तेज दर्द, भारी रक्तस्राव या चक्कर आना शुरू हो जाए तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें।

  • अत्यधिक डाइटिंग या खाना छोड़ना भी हार्मोन को बिगाड़ सकता है। इससे पीरियड अनियमित हो सकते हैं।

  • हर उपाय सभी को एक जैसा असर नहीं करता। इसलिए शरीर के संकेतों को समझें और जरूरत हो तो एक्सपर्ट की राय लें।


जब घरेलू उपाय कम असर करें और मन में डर या कन्फ्यूजन बना रहे, तो अकेले न सोचें। Gynoveda एक्सपर्ट्स से सलाह लें और जानें कि आपको कौन सा आयुर्वेदिक तरीका सबसे पहले अपनाना चाहिए।


निष्कर्ष

यह 10 असरदार घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय मासिक धर्म लाने में कई महिलाओं के लिए कारगर साबित हुए हैं। इनके साथ नियमित खानपान, योग और पर्याप्त नींद जरूरी है।अगर ये उपाय कुछ हफ्तों तक अपनाने के बाद भी असर न दिखाएं, तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है। अगर समय पर पीरियड्स न आएं तो इसे नजरअंदाज न करें। यह हार्मोनल गड़बड़ी या किसी गहरी समस्या का संकेत हो सकता है। सही समय पर सही उपचार से बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अशोक चूर्ण और लोध्र चूर्ण को सबसे सुरक्षित और असरदार माना जाता है। ये दोनों गर्भाशय को मजबूत करते हैं और बिना साइड इफेक्ट के पीरियड नियमित करने में मदद करते हैं।

अगर रोज दो बार पका पपीता खाया जाए, तो इसका असर 24 से 48 घंटे में दिख सकता है। लेकिन हर शरीर अलग होता है, इसलिए फर्क हो सकता है। यह उपाय खासकर तब फायदेमंद है जब पीरियड हल्के से देरी से आ रहे हों और शरीर में हार्मोन असंतुलन की वजह से पीसीओएस के लक्षण भी दिखने लगे हों।

हल्दी वाला दूध कम से कम 7 दिन तक लगातार रात में सोने से पहले लें। यह शरीर में गर्मी बढ़ाता है और पीरियड लाने में मदद करता है।

कुछ उपाय जैसे त्रिफला, लोध्र चूर्ण और कुमारी आसव पीसीओएस में मदद करते हैं। लेकिन बेहतर होगा कि Gynoveda जैसे आयुर्वेद विशेषज्ञ से राय लेकर ही शुरू करें।

 किशोरियों के लिए पपीता, हल्दी वाला दूध और त्रिफला सबसे सुरक्षित हैं। किसी भी चूर्ण या आसव से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, खासकर कम उम्र में।

हां, प्रेग्नेंसी के दौरान इन उपायों से बचना चाहिए। ये यूटेरस को एक्टिव कर सकते हैं जो गर्भपात का कारण बन सकता है। पहले प्रेग्नेंसी की पुष्टि कर लें।

कुमारी आसव दिन में दो बार खाना खाने के बाद 10 से 15 ml की मात्रा में लिया जाता है। इसे गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीना चाहिए।

तिल और गुड़ शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं। अगर इनका ज्यादा सेवन किया जाए तो कुछ महिलाओं में रक्तस्राव बढ़ सकता है। मात्रा संतुलित रखें और सावधानी बरतें।

गर्म पानी की थैली अगर जरूरत से ज्यादा गर्म या लंबे समय तक लगाई जाए तो जलन हो सकती है। हल्की गर्माहट के साथ 10-15 मिनट तक इस्तेमाल करें।

अशोक चूर्ण का असर आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों में दिखने लगता है। रोजाना नियमित रूप से लेना जरूरी है। असर न दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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