बार-बार बच्चा क्यों गिर जाता है? लक्षण, कारण, और उपचार

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Reviewed by Dr. Aarati Patil(Chief Doctor, MS , MD Ayurveda)
Last Updated At 20 Sept 2025 04:22 am (IST)
बार-बार बच्चा क्यों गिर जाता है? लक्षण, कारण, और उपचार

क्या आपको पता है बार बार क्यों बच्चा गए जाता है? बार-बार बच्चा गिरने की समस्या कई महिलाओं को डर और चिंता में डाल देती है। इसे बार-बार गर्भपात या Recurrent Miscarriage कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब महिला को लगातार दो या तीन बार गर्भपात हो। भारत में लगभग 15–20% गर्भधारण गर्भपात में बदल जाते हैं और इनमें से लगभग 2% मामलों में यह बार-बार होता है। यह सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत दर्दनाक होता है। सही कारण और उपचार जानना ज़रूरी है।

क्या आप बार-बार गर्भपात की समस्या से जूझ रही हैं? Gynoveda के अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर आपके लिए सुरक्षित और प्राकृतिक समाधान उपलब्ध कराते हैं। आज ही निःशुल्क परामर्श लें।

बार-बार बच्चा गिरने के लक्षण (Symptoms of Recurrent Miscarriage) 

गर्भपात का डर हर माँ के लिए गहरा दर्द होता है। जब बार-बार बच्चा गिरने लगे, तो इसके संकेत को समझना जरूरी है। 

  • गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में खून आना सबसे आम लक्षण है। हल्का धब्बा या ज्यादा रक्तस्राव दोनों ही चेतावनी हो सकते हैं। कई बार यह सामान्य भी होता है, लेकिन लगातार होने पर डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। कई महिलाएँ यह जानना चाहती हैं कि सफल गर्भपात के लक्षण कौन से होते हैं और किन संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

  • पेट और पीठ में तेज दर्द या ऐंठन भी गर्भपात का संकेत हो सकता है। यह दर्द कभी हल्का तो कभी असहनीय हो सकता है। 

  • इसके साथ शरीर में थकान, कमजोरी और चक्कर आना भी महसूस हो सकता है। ये लक्षण दिखाते हैं कि शरीर को पर्याप्त ताकत नहीं मिल रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि लगभग 50% गर्भपात पहले तीन महीनों में भ्रूण के विकास रुकने के कारण होते हैं।

  • सबसे गंभीर संकेत तब मिलता है जब अल्ट्रासाउंड में भ्रूण का विकास रुक जाए और धड़कन न मिले। यह स्थिति माँ के लिए भावनात्मक रूप से बहुत कठिन होती है। इन लक्षणों को अनदेखा न करें और तुरंत चिकित्सा सलाह लें।

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बार-बार बच्चा गिरने के कारण (Causes of Recurrent Miscarriage) 

बार-बार बच्चा गिरने के पीछे कई शारीरिक, चिकित्सीय, आनुवंशिक और जीवनशैली से जुड़े कारण हो सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दोष असंतुलन भी इसका बड़ा कारण है। सही कारण पहचानने से ही उपचार संभव होता है।

शारीरिक कारण 

गर्भाशय की असामान्यता जैसे फाइब्रॉइड या आकार की गड़बड़ी गर्भपात का कारण बन सकती है। कई बार गर्भाशय का आकार भ्रूण को संभाल नहीं पाता। सर्विक्स की कमजोरी भी बार-बार गर्भपात का कारण होती है। हार्मोनल असंतुलन, खासकर प्रोजेस्टेरोन की कमी, गर्भ को बनाए रखने में कठिनाई पैदा करता है। फाइब्रॉइड यानी बच्चेदानी में गांठ होना (fibroids meaning in hindi) भी गर्भपात का एक बड़ा कारण माना जाता है।

चिकित्सीय कारण 

थायरॉयड और डायबिटीज का सही नियंत्रण न होना गर्भपात की संभावना को बढ़ा देता है। कई महिलाओं में ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर की वजह से गर्भ में खून का बहाव सही नहीं हो पाता। संक्रमण भी एक गंभीर कारण है। गर्भाशय या शरीर में संक्रमण भ्रूण के विकास को रोक देता है।

आनुवंशिक कारण (Genetic Factors) 

भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यताएँ बार-बार गर्भपात का बड़ा कारण मानी जाती हैं। लगभग 50–60% गर्भपात भ्रूण में आनुवंशिक दोष की वजह से होते हैं। जब अंडाणु या शुक्राणु में दोष होता है, तो भ्रूण का सही विकास नहीं हो पाता। यह समस्या अक्सर पहले तीन महीनों में दिखाई देती है। कई बार माता-पिता में हल्की आनुवंशिक गड़बड़ी भी इसका कारण हो सकती है। महिलाएँ अक्सर यह जानना चाहती हैं कि अंडों की गुणवत्ता को प्राकृतिक रूप से कैसे सुधारें यानी how to improve egg quality naturally । यह recurrent miscarriage रोकने में मददगार हो सकता है।

जीवनशैली और पर्यावरणीय कारण 

धूम्रपान, शराब और नशे की आदतें गर्भ के लिए बेहद हानिकारक हैं। अधिक तनाव और असंतुलित दिनचर्या भी गर्भपात का कारण बन सकती है। पोषण की कमी होने पर भ्रूण को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते। प्रदूषण और खराब वातावरण भी गर्भावस्था पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण 

आयुर्वेद के अनुसार गर्भपात का एक मुख्य कारण दोष असंतुलन है। वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से गर्भ धारण स्थिर नहीं रहता। शरीर में जमा आमा यानी विषैले तत्व भी भ्रूण को नुकसान पहुंचाते हैं। रसधातु की कमी होने पर गर्भ को पोषण नहीं मिल पाता। संतुलित आहार और उपचार से सुधार संभव है।

हर महिला के गर्भपात के कारण अलग होते हैं। Gynoveda में आपकी स्थिति को समझकर व्यक्तिगत (Personalized) आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है। अभी विशेषज्ञ से जुड़ें।

आधुनिक चिकित्सा द्वारा उपचार (Modern Medical Treatments) 

बार-बार गर्भपात होने पर दंपति अक्सर परेशान हो जाते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए आधुनिक चिकित्सा कई उपाय देती है। 

  • सबसे पहले डॉक्टर हार्मोनल थेरेपी यानी प्रोजेस्टेरोन सपोर्ट देते हैं, जिससे गर्भ को स्थिर रखने में मदद मिलती है। अगर महिला को थायरॉयड या डायबिटीज की समस्या है, तो दवाओं और जीवनशैली नियंत्रण से इन्हें संतुलित किया जाता है ताकि गर्भ पर असर न पड़े।

  •  कुछ मामलों में गर्भाशय में संरचनात्मक दोष होता है। ऐसे में सर्जरी से गर्भाशय की असामान्यताओं को ठीक किया जाता है। 

  • अगर बार-बार गर्भपात होने से प्राकृतिक गर्भधारण कठिन हो जाए तो IVF और अन्य Assisted Reproductive Techniques से मदद मिल सकती है। भारत में हर साल लगभग 2.8 लाख IVF चक्र किए जाते हैं और इनमें से 30-35% सफल रहते हैं।

  • कई महिलाओं में खून के थक्के बनने की समस्या रहती है। ऐसी स्थिति में ब्लड क्लॉटिंग रोकने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं ताकि भ्रूण तक पर्याप्त रक्त प्रवाह हो सके। सही जांच, समय पर उपचार और विशेषज्ञ की देखरेख से इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार (Ayurvedic & Natural Remedies) 

आयुर्वेद शरीर और मन दोनों को संतुलित करके गर्भ को सुरक्षित रखने में मदद करता है। इसमें औषधियाँ, पंचकर्म, योग और जीवनशैली सुधार शामिल हैं। यह गर्भाशय को मजबूत करता है और स्वस्थ गर्भधारण में सहायक होता है।

पंचकर्म (Detoxification Therapy) 

पंचकर्म आयुर्वेद की विशेष चिकित्सा है। यह शरीर की शुद्धि करता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। इससे प्रजनन तंत्र संतुलित होता है और गर्भाशय की शक्ति बढ़ती है। गर्भधारण की संभावना बेहतर होती है और बार-बार होने वाले गर्भपात का जोखिम कम होता है।

गर्भसंपोषण औषधियाँ (Fertility-Enhancing Herbs) 

आयुर्वेद में शतावरी, अशोक, लोध्र और गिलोय को गर्भसंपोषण औषधियाँ माना गया है। ये औषधियाँ शरीर को पोषण देती हैं और गर्भाशय को मजबूती प्रदान करती हैं। नियमित सेवन से महिला का स्वास्थ्य सुधरता है और गर्भ को सुरक्षित बनाए रखने की क्षमता बढ़ती है।

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आहार और जीवनशैली सुधार 

गर्भपात से बचने के लिए संतुलित और गर्म तासीर वाला भोजन लाभकारी है। तिल, बादाम और देसी घी जैसे तैलीय आहार गर्भाशय को पोषण देते हैं। योग और ध्यान से तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। सही आहार और जीवनशैली से गर्भ सुरक्षित रहता है।

योग और प्राणायाम 

योग और प्राणायाम गर्भाशय को मजबूत करने और मन को शांत रखने में मदद करते हैं। सुप्त बद्ध कोणासन और विपरीतकरणी आसन लाभकारी हैं। अनुलोम-विलोम और ब्रह्मरी प्राणायाम से रक्त प्रवाह सुधरता है और तनाव कम होता है। इनसे गर्भपात का खतरा घटता है।

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बचाव के उपाय (Preventive Measures) 

बार-बार गर्भपात होना किसी भी महिला और परिवार के लिए बहुत दुखद होता है।

  •  इसे रोकने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाना ज़रूरी है। शादी के बाद स्वास्थ्य जांच और प्री-कॉन्सेप्शन काउंसलिंग कराना बहुत लाभकारी है। 

  • इससे शरीर की स्थिति और संभावित समस्याएं पहले ही पता चल जाती हैं। गर्भधारण से पहले बॉडी डिटॉक्स करना भी जरूरी है। यह शरीर को साफ करके गर्भधारण की संभावना बढ़ाता है। 

  • तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद गर्भावस्था को सुरक्षित बनाए रखते हैं। लगातार चिंता और नींद की कमी से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। 

  • नशे से दूरी और नियमित व्यायाम भी मददगार है। शराब, धूम्रपान और किसी भी तरह का नशा शरीर को नुकसान पहुंचाता है। हल्का व्यायाम शरीर को मजबूत बनाता है और गर्भ को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।

कब डॉक्टर से तुरंत मिलें? 

गर्भपात का खतरा बढ़ने पर समय पर डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है। 

  • अगर लगातार दो या उससे ज्यादा गर्भपात हो चुके हैं तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। यह किसी छुपी हुई समस्या का संकेत हो सकता है।

  •  भारी ब्लीडिंग, तेज बुखार, या लगातार दर्द होने पर भी लापरवाही न करें। ऐसे लक्षण गंभीर हो सकते हैं और तुरंत इलाज की जरूरत होती है। 

  • पिछली बार गर्भपात के बाद दुबारा conceive करने से पहले भी डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि शरीर अगली गर्भावस्था के लिए तैयार है या नहीं।

  •  समय पर सही जांच और इलाज से भविष्य की गर्भावस्था को सुरक्षित बनाया जा सकता है। सही जानकारी और सावधानी ही सुरक्षित मातृत्व की कुंजी है।

बार-बार बच्चा गिरना अंत नहीं है। Gynoveda ने हजारों महिलाओं को प्राकृतिक रूप से माँ बनने का सुख दिया है। आप भी आज ही व्यक्तिगत परामर्श लेकर अपनी उम्मीद को साकार करें।

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निष्कर्ष 

बार-बार बच्चा गिरना किसी महिला के लिए अंत नहीं है। यह स्थिति दुखद होती है, लेकिन समाधान मौजूद है। सही कारण की पहचान करना और फिर आधुनिक व आयुर्वेदिक उपचार अपनाना गर्भावस्था को सुरक्षित बना सकता है। हर महिला के लिए उम्मीद और रास्ते हमेशा खुले रहते हैं। अगर समय पर जांच, इलाज और जीवनशैली सुधार किया जाए तो स्वस्थ मातृत्व संभव है। अब और देर न करें। आज ही अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें और सुरक्षित गर्भावस्था की दिशा में कदम बढ़ाएं। यही सही देखभाल का समय है।

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Frequent Asked Questions

नहीं, बार-बार गर्भपात का मतलब यह नहीं कि माँ बनना असंभव है। सही इलाज, नियमित जांच और जीवनशैली सुधार से महिला सुरक्षित गर्भधारण कर सकती है।

IVF एक विकल्प है, लेकिन हमेशा अंतिम समाधान नहीं। कई बार दवाओं, हार्मोन थेरेपी और सही देखभाल से भी गर्भधारण सफल हो सकता है।

हाँ, अगर शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता सही न हो तो गर्भपात का खतरा बढ़ता है। Normal sperm count to get pregnant  या पुरुष का स्पर्म कितना होना चाहिए जिससे बच्चा ठहर सकता है जानना इस स्थिति में बहुत महत्वपूर्ण है।

गलत खान-पान शरीर को कमजोर करता है और गर्भ को संभालने की क्षमता घटा सकता है। पोषण की कमी से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। संतुलित आहार जरूरी है।

डॉक्टर की सलाह अनुसार कम से कम तीन से छह महीने रुकना सही माना जाता है। इस दौरान शरीर को आराम, पोषण और मानसिक संतुलन मिलना जरूरी है।

हाँ, PCOD और एंडोमेट्रियोसिस दोनों गर्भधारण में बाधा डाल सकते हैं। ये हार्मोन असंतुलन और गर्भाशय की स्थिति को प्रभावित कर गर्भपात की संभावना बढ़ा सकते हैं।

घरेलू नुस्खे सीधे गर्भपात रोक नहीं सकते। लेकिन हेल्दी खाना, आराम और तनाव कम करना मददगार हो सकता है। सही इलाज के साथ ही घरेलू उपाय अपनाना चाहिए।

गर्भपात के बाद किसी खास डिटॉक्स की जरूरत नहीं होती। संतुलित आहार, पानी, नींद और मानसिक शांति ही शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ करने में मदद करते हैं।

नहीं, पहली बार गर्भपात होने से आगे भी होगा यह जरूरी नहीं। कई महिलाएं इसके बाद सामान्य और स्वस्थ गर्भधारण करती हैं। डॉक्टर की सलाह से सही तैयारी जरूरी है।

हाँ, योग और ध्यान मानसिक तनाव को घटाते हैं और हार्मोन संतुलन सुधारते हैं। ये सीधे गर्भपात रोकते नहीं, लेकिन गर्भावस्था को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।

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