दो दिनों में शुक्राणु कैसे बढ़ाएं? जानिए 10 असरदार आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

दो दिनों में शुक्राणु कैसे बढ़ाएं? जानिए 10 असरदार आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

क्या आप भी कम शुक्राणु या वीर्य दुर्बलता की समस्या से परेशान हैं? आज के समय में 40% पुरुष Low Sperm Count से जूझ रहे हैं। आज के समय में पुरुषों में शुक्राणु की कमी (Low Sperm Count) और वीर्य दुर्बलता (Sperm Weakness) आम समस्या बन गई है।  सामान्य रूप से एक फर्टाइल (उपजाऊ) पुरुष के वीर्य में हर मिलीलीटर में 15 मिलियन से लेकर 200 मिलियन से ज्यादा शुक्राणु होने चाहिए, ताकि प्राकृतिक रूप से गर्भधारण हो सके। अगर शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम हो, तो इसे "Low Sperm Count" माना जाता है, जिससे संतान होने में परेशानी आ सकती है।  कामकाजी जीवनशैली, तनाव, मिलावटी भोजन और अनियमित दिनचर्या इसके मुख्य कारण हैं। अगर आप भी 2 दिन में शुक्राणु बढ़ाने के उपाय ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। रिसर्च के अनुसार 675mg अश्वगंधा से टेस्टोस्टेरोन और प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। सेलेनियम (>50mcg/दिन) और जिंक (10–20mg/दिन) भी असरदार हैं।

इन 10 असरदार आयुर्वेदिक घरेलू उपायों से शुक्राणु की वृद्धि और मजबूत बनाये |

असल में, 10 से 20 प्रतिशत पुरुषों में शुक्राणु की संख्या WHO के पुरुष प्रजनन क्षमता मानक से भी कम होती है। करीब 2-3 प्रतिशत पुरुषों के वीर्य में बिल्कुल भी शुक्राणु नहीं बनते। उनके वीर्य में केवल तरल होता है, लेकिन उसमें कोई जीवित शुक्राणु नहीं होता।

अच्छी खबर यह है कि ज्यादातर पुरुष कुछ आसान बदलाव करके अपने शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ आसान उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।

1. सात्विक आहार लें – Natural Sperm Food in India

अगर आप दो दिनों में शुक्राणु गाढ़ा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने आहार को सुधारना ज़रूरी है। आयुर्वेद में सात्विक भोजन को वीर्यवर्धक माना गया है। जानिए शुक्राणु बढ़ाने वाले असरदार फूड्स जो भारतीय रसोई में ही मिल जाते हैं।

  • ताजे फल, हरी सब्जियां, सूखे मेवे जैसे अखरोट और बादाम, देसी गाय का घी, और दालें शुक्राणु को पोषण देते हैं।

  • इनके साथ-साथ ज़रूरी पोषक तत्व जैसे Zinc, Vitamin E और Iron भी रोज़ के आहार में शामिल करें। ये पोषक तत्व वीर्य की मात्रा और उसकी गुणवत्ता दोनों को बेहतर बनाते हैं। हार्मोन संतुलन के लिए जरूरी हार्मोन बैलेंसिंग फूड्स को अपने आहार में शामिल करें और शुक्राणु गुणवत्ता में सुधार लाएं।

  • वहीं डिब्बाबंद, बासी, अत्यधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन शुक्राणु की गुणवत्ता को घटाता है। अगर आप वास्तव में बदलाव चाहते हैं, तो इन चीज़ों से दूरी बनाना बहुत जरूरी है।

  • मानसिक तनाव भी शुक्राणु की संख्या पर बुरा असर डालता है, इसलिए आहार के साथ-साथ मानसिक शांति भी जरूरी है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से भी शुक्राणु की शक्ति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।

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2. अश्वगंधा – प्राचीन शक्तिवर्धक जड़ी-बूटी

अश्वगंधा को आयुर्वेद में एक शक्तिवर्धक और हार्मोन बैलेंस करने वाली औषधि माना गया है। 

  • यह टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाती है, जिससे शुक्राणु उत्पादन में सुधार आता है।

  • यह पूरे शरीर में खून के बहाव को बेहतर बनाता है और प्राकृतिक रूप से शुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है।

  • रोज़ सुबह एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को दूध के साथ लें। यह शरीर की थकान को भी कम करता है और मानसिक तनाव से राहत देता है, जो कि शुक्राणु की गुणवत्ता पर सीधा असर डालता है।

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3. शिलाजीत – प्राकृतिक वीर्यवर्धक टॉनिक

शुद्ध शिलाजीत आयुर्वेद का सबसे शक्तिशाली टॉनिक माना जाता है।

  •  यह न केवल शुक्राणु की संख्या बढ़ाता है, बल्कि उसकी गुणवत्ता और गाढ़ापन भी बेहतर करता है। 

  • शिलाजीत में फुल्विक एसिड होता है, जो टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो शुक्राणु की संख्या बढ़ाने में सहायक होते हैं।

  • 250 से 500 मिलीग्राम शुद्ध शिलाजीत रोज़ दूध या गुनगुने पानी के साथ लें। यह शरीर को ऊर्जा देता है, थकान कम करता है और प्रजनन शक्ति को मजबूत बनाता है।

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4. ब्रह्मचर्य – शुक्रशक्ति बढ़ाने की जड़

आयुर्वेद के अनुसार, ब्रह्मचर्य पालन से शरीर की ऊर्जा शुक्र धातु में बदलती है। 

  • दो दिन तक संयम रखने से भी शुक्राणु की मात्रा और ताकत में बढ़ोतरी देखी गई है। 

  • ब्रह्मचर्य यानी यौन गतिविधियों से दूर रहना, जिससे शरीर को शुक्राणु बनाने और संचित करने का अधिक समय मिलता है। इससे कुछ हद तक स्पर्म काउंट बढ़ने में मदद मिल सकती है।

  • हस्तमैथुन और अश्लील सामग्री से दूर रहकर आप अपने शरीर की शक्ति को संचित कर सकते हैं। ब्रह्मचर्य न केवल मानसिक स्पष्टता लाता है, बल्कि प्रजनन क्षमता को भी नई ऊर्जा देता है।

5. ध्यान और प्राणायाम – मानसिक तनाव से मुक्ति का उपाय

मानसिक तनाव शुक्राणु के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है। 

  • शुक्राणु बनने से लेकर अंडकोष से बाहर निकलने तक की पूरी प्रक्रिया में करीब 3 महीने का समय लगता है। रोज़ 10 मिनट अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम करने से शरीर और मन दोनों शांत होते हैं।

  • प्राणायाम करने से टेस्टोस्टेरोन बढ़ता है और वीर्य उत्पादन बेहतर होता है।

  •  ध्यान से भी मन शांत रहता है और नींद बेहतर होती है, जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

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6. गिलोय और शतावरी – दोहरी ताकत वाली जड़ी-बूटियाँ

गिलोय और शतावरी को आयुर्वेद में संजीवनी बूटी के बराबर माना गया है। 

  • गिलोय अर्क लेने के 72 घंटे बाद शुक्राणु की गड़बड़ियों की मात्रा में औसतन कमी देखी गई। यह दिखाता है कि गिलोय शुक्राणु की गुणवत्ता सुधारने में मदद कर सकता है।

  •  गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और वीर्य को मज़बूत बनाता है। यह शरीर से विषैले तत्वों को निकालता है और अंदर से ऊर्जा प्रदान करता है।

  •  वहीं शतावरी शुक्र धातु का पोषण करती है, जिससे शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है।

  • इन दोनों को काढ़े या चूर्ण के रूप में लिया जा सकता है। अगर आप इनका नियमित रूप से सेवन करते हैं, तो सिर्फ दो दिन में शरीर में हल्का फर्क महसूस होगा। लम्बे समय तक सेवन करने से यह असर और गहरा होता है।

7. नींद पूरी करें – 7–8 घंटे की गहरी नींद

अगर आप पूरी नींद नहीं लेते, तो शरीर में हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। 

  • इससे न केवल मानसिक थकावट होती है, बल्कि शुक्राणु बनने की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। नींद के दौरान शरीर प्राकृतिक रूप से नए शुक्राणु बनाता है और पुराने को रिपेयर करता है।

  • इसलिए हर रात कम से कम 7–8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। कोशिश करें कि रात 10 बजे तक सो जाएं। इससे शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्तर संतुलित रहता है और प्रजनन क्षमता बेहतर होती है।

8. अंडकोष (Testicles) को ठंडा रखें – Heat Free Zones

क्या आप जानते हैं कि अंडकोष को शरीर के बाकी हिस्सों से बाहर क्यों रखा गया है? इसका कारण है तापमान। 

  • शुक्राणु बनने के लिए ठंडा वातावरण जरूरी होता है। अगर आप ज्यादा गर्म पानी से नहाते हैं, टाइट कपड़े पहनते हैं या घंटों लैपटॉप गोद में रखते हैं, तो अंडकोष का तापमान बढ़ जाता है, जिससे शुक्राणु मर सकते हैं।

  • इसलिए ढीले कपड़े पहनें, गर्म पानी से न नहाएं और लैपटॉप को मेज पर रखकर चलाएं। ठंडा वातावरण शुक्राणु को लंबे समय तक जीवित और सक्रिय बनाए रखता है।

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9. धूम्रपान, शराब और तंबाकू से दूरी – विषैले प्रभाव

अगर आप स्वस्थ संतान चाहते हैं तो इन तीन चीजों से तुरंत दूरी बनाएं – धूम्रपान, शराब और तंबाकू। 

  • धूम्रपान शुक्राणु के डीएनए को नुकसान पहुँचाता है, जिससे वे कमजोर हो जाते हैं।

  •  शराब और तंबाकू वीर्य को पतला और निर्बल बना देते हैं।शराब पीने से शुक्राणु की बनावट और गति खराब हो जाती है।

  • तुलसी और आँवला जैसे आयुर्वेदिक उपाय न केवल नशा छुड़ाने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर की गहराई से सफाई करते हैं। इससे शरीर की ताकत लौटती है और शुक्राणु बेहतर बनते हैं।

10. उबटन स्नान – शरीर की गर्मी बाहर निकालें

आयुर्वेद में उबटन को सिर्फ सौंदर्य नुस्खा नहीं, बल्कि शरीर शुद्धि का एक साधन माना गया है। 

  • हल्दी, बेसन, गुलाब जल और नीम से बना उबटन शरीर की गर्मी को बाहर निकालता है और ठंडक प्रदान करता है। शुक्राणु की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए शरीर का ठंडा रहना जरूरी है।

  • हफ्ते में कम से कम दो बार उबटन लगाएं। यह न केवल त्वचा को निखारेगा, बल्कि अंदरूनी गर्मी को भी शांत करेगा। इससे शुक्राणु लंबे समय तक स्वस्थ और मजबूत बने रहते हैं।

इन आसान और असरदार उपायों को आज से ही अपनाएं और अपने जीवन में खुशियों का स्वागत करें।

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आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा (Rasayan Therapy) – पुरुष बांझपन में लाभकारी

क्या आप संतान सुख न मिलने की वजह से तनाव में हैं? क्या आप कोई ऐसा तरीका ढूंढ रहे हैं जो बिना साइड इफेक्ट के असर दिखाए? आयुर्वेद में इसका समाधान मौजूद है। 

रोग प्रतिरोधकता (Immunity) और शुक्र धातु (Reproductive Tissue) के विकास में सहायक

रसायन चिकित्सा आपके लिए एक असरदार उपाय हो सकती है। अगर शुक्राणु की बनावट में गड़बड़ी हो तो Teratozoospermia की स्थिति को भी जानना ज़रूरी है।

  • आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा का उद्देश्य शरीर की क्षीण हुई धातुओं को पुनः पुष्ट करना होता है, खासकर शुक्र धातु को।

  •  यह चिकित्सा न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधकता बढ़ाती है, बल्कि प्रजनन प्रणाली को भी मजबूत बनाती है। महिलाओं में बांझपन के मामलों में PCOS का आयुर्वेदिक इलाज भी उतना ही जरूरी है जितना पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता।

  • अश्वगंधा, शिलाजीत, आमलकी और गोक्षुर जैसे रसायन वीर्यवृद्धि में अत्यंत प्रभावी माने गए हैं। 

  • ये औषधियां मानसिक और शारीरिक बल दोनों को बढ़ाने में सहायक होती हैं, जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। 

अगर आप प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक रसायन चिकित्सा पुरुष बांझपन के लिए एक भरोसेमंद विकल्प है।

पंचकर्म चिकित्सा (Panchakarma Treatment) – पुरुष प्रजनन तंत्र की शुद्धि के लिए

क्या आप जानना चाहते हैं कि पुरुषों में बांझपन की समस्या का आयुर्वेदिक समाधान क्या हो सकता है? अगर वीर्य की गुणवत्ता कम है या शरीर में विषैले तत्व जमा हो गए हैं, तो इसका असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। ऐसे में पंचकर्म चिकित्सा एक कारगर उपाय बन सकती है।

शरीर की गहराई से शुद्धि और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार

पंचकर्म में वमन, विरेचन, बस्ती जैसी आयुर्वेदिक शुद्धिकरण प्रक्रियाएं होती हैं जो शरीर को अंदर से साफ करती हैं। 

  • यह प्रक्रिया शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है और शुक्र धातु को पोषण देती है।

  •  इससे न केवल शरीर हल्का और ऊर्जावान होता है, बल्कि शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में भी सुधार होता है। 

  • नियमित रूप से किया गया पंचकर्म वीर्य को शुद्ध, शक्तिशाली और प्रजनन योग्य बनाता है, जिससे पुरुषों की संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अगर आप अपने जीवन में संतान सुख चाहते हैं, तो शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा का बढ़ना अत्यंत आवश्यक है। आजकल की जीवनशैली और तनावपूर्ण माहौल के कारण यह समस्या आम हो गई है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। ऊपर दिए गए उपाय न केवल सरल हैं, बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक और आयुर्वेद पर आधारित हैं। इनसे आपको सिर्फ 2 दिनों में शुरुआती लाभ मिल सकता है। संयम, सात्विकता और सही मार्गदर्शन से कोई भी पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को सुधार सकता है। अगर घरेलू उपायों से अपेक्षित लाभ न दिखे, तो किसी अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। नियमित दिनचर्या और सकारात्मक सोच के साथ संतान प्राप्ति अब दूर नहीं।


Frequent Asked Questions

नहीं, सामान्य मात्रा में हस्तमैथुन से शुक्राणु की संख्या पर कोई स्थायी असर नहीं होता। लेकिन अत्यधिक हस्तमैथुन से वीर्य अस्थायी रूप से पतला और कमजोर हो सकता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है।

पहला लक्षण आमतौर पर संतान प्राप्ति में कठिनाई होती है। इसके साथ वीर्य की मात्रा कम लगना, पतलापन और यौन इच्छा में कमी भी शुक्राणु की कमी के संकेत हो सकते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता अलग होती है, लेकिन सप्ताह में 2 से 4 बार वीर्य स्खलन सामान्य माना जाता है। इससे शरीर की ऊर्जा और प्रजनन क्षमता संतुलित रहती है।

हाँ, अगर शुक्राणु की कमी गंभीर न हो तो आयुर्वेदिक उपाय, खानपान, जीवनशैली और पंचकर्म चिकित्सा से संतान प्राप्ति की संभावना काफी हद तक बढ़ाई जा सकती है।

अश्वगंधा, शिलाजीत, गोक्षुर और शतावरी जैसी आयुर्वेदिक औषधियां 7–15 दिनों में असर दिखाती हैं। लेकिन हर शरीर अलग होता है, इसलिए सही परिणाम के लिए निरंतर सेवन जरूरी है।

अब कई होम टेस्टिंग किट उपलब्ध हैं जो वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की संख्या की प्राथमिक जांच कर सकती हैं। हालांकि, पक्की जानकारी के लिए लैब जांच जरूरी होती है।

स्वस्थ पुरुष में वीर्य की सामान्य मात्रा 1.5 से 6 मिलीलीटर के बीच होती है। इससे कम मात्रा और अधिक पतलापन शुक्राणु की कमी या कमजोरी का संकेत हो सकता है।

हाँ, सुबह का वीर्य अधिक समय तक संचित रहने के कारण सामान्यतः ज्यादा गाढ़ा और सघन होता है। यह आम बात है और इसका संबंध शुक्राणु गुणवत्ता से भी हो सकता है।

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